आत्मा पुनर्जन्म और विज्ञानं ( Soul Rebirth and Science)
क्या जीवन की उत्पत्ति में आत्मा का अस्तित्व है | आधुनिक विज्ञानं इसको समझ पाने में असमर्थ है या ये सब मिथ्या है |
अगर पुनर्जन्म सत्य है तब तो जीवन को अभी इंसान को और समझना पड़ेगा | और हो सकता है की हमारे ऊपर कोई और शक्ति भी विध्यमान है |
देखिये कुछ विस्मयकारी पुनर्जन्म की घटनाएँ, जो की मेने कुछ समाचार पत्रों व् न्यूज़ से एकत्र करी हैं -
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इंदौर के महाराज ने शेख के रूप में लिया पुनर्जन्म ?
इंदौर. क्या होलकर राजवंश के वंशज और इंदौर के पूर्व शासक महाराज यशवंत राव होलकर द्वितीय ने पुनर्जन्म लिया है। कुछ लोगों को यह बात भले ही किस्सा लगे, लेकिन कतर के एक अरबपति शेख के लिए यह सच्चाई है। कतर के सत्तारूढ़ अमीर का चचेरा भाई शेख सौद बिन अल-थानी खुद को इंदौर के पूर्व शासक यशवंतराव होलकर का पुनर्जन्म मानता है। दरअसल अल-थानी ने अमेरिकी कलाकार मैन रे द्वारा बनाए गए होलकर के एक चित्र को कुछ साल पहले देखा था। तभी से वह खुद को महाराज यशवंत का दूसरा जन्म मानने लगा। 1961 में महाराज यशवंत के निधन के पांच साल बाद पैदा हुए शेख अल-थानी और पूर्व शासक में काफी समानताएं हैं। दोनों का चेहरा गोल है,माथा चौड़ा है,नाक पतली है और पेंसिल मूंछें हैं। शेख अल-थानी पर अपने ‘पिछले जन्म’ से जुड़ी वस्तुओं को इकट्ठा करने की धुन सवार है। इस पर वे लाखों रुपए भी खर्च कर रहे हैं। अल-थानी होलकर वंश से जुड़ी चीजों को इकट्ठा करने के लिए कुछ साल पहले इंदौर भी आए थे। इंदौर के पूर्व प्रधानमंत्री सिरेमल बाफना के पड़पोते उपेंद्र बाफना ने बताया,‘कुछ साल पहले एंटीक वस्तुओं के कुछ डीलरों ने महाराज यशवंतराव से जुड़ी चीजों को इकट्ठा करने में मेरी मदद मांगी थी। बाद में पता चला कि ये लोग शेख अल-थानी के लिए ये चीजें इकट्ठा कर रहे हैं।
’लाखों डॉलर खर्च किए : इंदौर के इतिहासकार और आर्ट डीलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि अल-थानी ने होल्कर वंश से जुड़ी पुरानी चीजों को खरीदने में लाखों डॉलर खर्च किए हैं। इनमें पुरानी तस्वीरें,दुर्लभ रत्न, कारें,कपड़े और फर्नीचर आदि शामिल हैं। कुछ ऐसे हैं अल-थानी
शेख अल-थानी को अपनी अपार दौलत के साथ ही कला प्रदर्शनियों में चीजों को किसी भी कीमत पर खरीदने के लिए जाना जाता है। कभी-कभी तो वे प्रदर्शनी के पूरे कलेक्शन को अनुमानित कीमत से कहीं अधिक दाम पर खरीद लेते हैं। उन्होंने मार्च में पेरिस में आयोजित क्रिस्टीज की प्रदर्शनी में जर्मन डिजायनर एकार्ट मुथेसिअस द्वारा यशवंतराव होलकर के लिए बनाई गई सभी चीजें खरीद लीं। शेख ने इंदौर के राजपरिवार के लिए बनाई गई एक बुक शेल्फ और दो लैंपों को खरीदने के लिए 15 लाख डॉलर तक खर्च कर दिए। वे पूर्व महाराज की तरह हूबहू पोज में तस्वीरें खिंचवाते हैं और इसके लिए एक सेशन पर हजारों डॉलर खर्च कर देते हैं। दोहा में उनका अल वहाब एस्टेट यशवंतराव के आधिकारिक निवास माणिकबाग की तर्ज पर बना हुआ है।
’लाखों डॉलर खर्च किए : इंदौर के इतिहासकार और आर्ट डीलर राजेंद्र सिंह ने बताया कि अल-थानी ने होल्कर वंश से जुड़ी पुरानी चीजों को खरीदने में लाखों डॉलर खर्च किए हैं। इनमें पुरानी तस्वीरें,दुर्लभ रत्न, कारें,कपड़े और फर्नीचर आदि शामिल हैं। कुछ ऐसे हैं अल-थानी
शेख अल-थानी को अपनी अपार दौलत के साथ ही कला प्रदर्शनियों में चीजों को किसी भी कीमत पर खरीदने के लिए जाना जाता है। कभी-कभी तो वे प्रदर्शनी के पूरे कलेक्शन को अनुमानित कीमत से कहीं अधिक दाम पर खरीद लेते हैं। उन्होंने मार्च में पेरिस में आयोजित क्रिस्टीज की प्रदर्शनी में जर्मन डिजायनर एकार्ट मुथेसिअस द्वारा यशवंतराव होलकर के लिए बनाई गई सभी चीजें खरीद लीं। शेख ने इंदौर के राजपरिवार के लिए बनाई गई एक बुक शेल्फ और दो लैंपों को खरीदने के लिए 15 लाख डॉलर तक खर्च कर दिए। वे पूर्व महाराज की तरह हूबहू पोज में तस्वीरें खिंचवाते हैं और इसके लिए एक सेशन पर हजारों डॉलर खर्च कर देते हैं। दोहा में उनका अल वहाब एस्टेट यशवंतराव के आधिकारिक निवास माणिकबाग की तर्ज पर बना हुआ है।
http://www.bhaskar.com/article/mp-ind-indore-maharaj-takes-rebirth-as-sheikh-in-qatar-2222937.html?ZX3-UPD=
सैनिक मुकेश पुनर्जन्म महिला के रूप में
कैथल। दावा किया जा रहा है कि दुश्मनों की गोली का शिकार होकर वीरगति को प्राप्त कैथल के गांव बात्ता के सैनिक मुकेश का पुनर्जन्म हुआ है, लेकिन इस बार लड़की के रूप में जो चार साल की हो गई है।
सोनम नाम की यह लड़की सोनीपत के गांव बरौदा में पैदा हुई थी। बात्ता पहुंच कर जब उसने अपने पुनर्जन्म बात कही तो गांव वासी सुखद आश्चर्य में डूब गए।
सोनम ने पिछले जन्म की बहुत सी बातें बताईं हैं। उसके मुताबिक पिछले जन्म में उसका नाम मुकेश था। वह सैनिक था और जम्मू में दुश्मनों से लड़ते हुए उसे गोली लग गई थी और बाद में उसे ट्रेन के नीचे फेंक दिया गया था।
शनिवार देर शाम सोनम अपने माता-पिता के साथ बात्ता आई और मुकेश के घर खुद ही पहुंच गई। धीरे-धीरे सोनम ने मां-बाप, भाई-भाभी, चाचा-चाची, सहपाठियों के नाम गिनाना और उन्हें पहचानना शुरू किया तो लोगों को उसका भरोसा करना ही पड़ा।
ऐसे याद आया पहला जन्म
कुछ दिन पहले गांव बात्ता निवासी मास्टर अमृत की पत्नी बीरमति अपने मायके बरौदा गई हुई थी। वहां सोनम ने उसे पहचान लिया और गांव बात्ता की बातें बताने लगी। यह सुनकर बीरमति हैरान रह गई। बात्ता लौटकर उसने सारी कहानी धर्म सिंह और उसकी पत्नी उर्मिला को बताई। सैनिक मुकेश इन्हीं का पुत्र था।
सोनम के बारे में सुनकर उनसे रहा नहीं गया और शनिवार को मुकेश के चाचा-चाची और बड़ा भाई विनोद गांव बरौदा पहुंच गए। वहां जाते ही सोनम ने तीनों को नाम के साथ पहचान लिया। वे सोनम को उसकी मां शीला व ताई के साथ बात्ता ले कर आए।
गांव बात्ता में उसके घर से दूर ही उसे गाड़ी से उतार दिया। सोनम गाड़ी से उतरते ही अपने घर पहुंच सबके नाम गिनाने लगी।
पहली मां से चिपक गई सोनम
घर पहुंचते ही सोनम अपने पिछले जन्म की मां उर्मिला से चिपक गई और वह अपनी इस जन्म की मां शीला के पास नहीं आई। शीला ने बताया कि सोनम सुबह से ही उन्हें कह रही थी कि आज गांव बात्ता से उसके पूर्व जन्म के मां बाप उसे लेने आएंगे।
वह प्रार्थना कर रही थी कि बारिश न हो। बात्ता पहुंचकर उसने अपने सहपाठी विजेंद्र को भी पहचान लिया और बताया कि वह नौवीं कक्षा तक साथ पढ़े थे। उसने गांव के डेरा बाबा बीरपुरी को भी पहचान लिया।
मुझे गोली मारी थी
सोनम का कहना है कि पिछले जन्म में जब वह मुकेश था तब 29 जुलाई 2002 को जम्मू में वह अपनी ड्यूटी पर था। उसे एक गोली लगी और उसके बाद उसे ट्रेन के नीचे फेंक दिया गया। उसने फौज के कई किस्से भी बताए। उसने पेट पर लगी गोली का निशान दिखाने के लिए भी इशारा किया, जहां अभी भी हलका सा निशान नजर आ रहा था।
भीड़ देख सहम गई सोनम
नन्ही सी सोनम ने अपने पूर्व जन्म के गांव, गली, परिवार व सहपाठियों को तो पहचान लिया, लेकिन वह गांव में उसे देखने के लिए लगी लोगों की भीड़ देखकर सहम गई। समाचार लिखे जाने तक सोनम अपनी पूर्व जन्म की मां उर्मिला की गोद में थी और गांव में उसे देखने वालों का तांता लगा था।
Sourceed : http://www.bhaskar.com/article/har-oth-telling-the-girl-soldier-2250274.html?ZX3-UPD=
main ek easa case janta hu ja mere gaon se sambandhit hai .ek ladki bachpan mein gaon se door ( 2.5 km ) dusre gaon mein padne jati thi .uski umra kareeb 8 saal thi . vo ladki raste mein aate samay us gaon ( jahan ke school mein vo padti thi )ke ek imli ke tree ke niche baithi rahti thi. ghar wale doonte rahte aur vo aksar school ke baad us tree ke niche baithi milti.
ReplyDeletekuch samay baad vo ladki us gaon ke ek vyakit jiski maa ko mare kafi din ho chuke they .usne uske ghar jaa kar apne dwara rakhe purane dhan ko khudwakar nikalwaya tha.
wo ladki ajj bhi jinda hai par purwa janm ki yadden mit chuki hai.
wo vyakit bhi jinda hai .
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punrjanam hota hai aatma ke wajood ko koi nahi nakar sakta.
electronics ka viksit logical roop computer devices hai.
har anudeshon ke set ( soft ware ) aur hardware ke madya nirdeshon ke dwara work hota hai.ye nirdesh language aur uski grammar ko follow karte hai.
body ko nirdesh mind se milte hai .
science us language ko nahi samaj pai hai jis par body aur mind ke madhya communication hota hai.
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vedo ke aage . aaj ki science kuck nahi hai.
aaj science naino technology tak pahuch pay hai.
explanation-
input --> processing --> output
input ko machine ke samjhne layak language mein convert karne ke liye converter /compilar ki jarurat hoti hai.
processing ke baad out put prapt hota hai.
note-- input sound ke dwara bhi hota hai jiski frequency fix hoti hai.
manlijiye pahle jo vyakit manav sareer ki bhasha samjgh jata tha wo
input aakho se , kaano se , sanchit smartiyo se (memory se)
processing dimag ke jatil tantra se.
out put aanko se , muhse , icha shakti se.
inke proof aaj bhi dekhne ko milte hai ki kisi ne muh se kuch mantr kahe aur hawa chalne lagi, aag bugh gayi.
sraap ichashakti ka udharan hai.
purva kaal mein mantra sakti aaj ki science ka future hai.
indian astrology ye bata sakti hai ki 1000 year baad kis samay surya ya chandra grahan padega.
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science kahti hai ki jaadu nahi hota sirf trick hoti hai.ek jaadugar kai khel aese dikhate hai jisko trick nahi ka ja sakta. wo kewal mantr shakti par karya karta hai.
yadi science sammohan ( hippotizm ) ki baat kare tab hippotizm kewal human par kiya ja sakta hai camre par nahi.
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punarjanm ke vishay mein yahi shambhav hai ki marte samay jo us insan ke dimag mein chal raha ho wo aatma ke saath chala jata ho aur baad mein agle janm mein use us wo sab yaad rahe jab wo mara tha.