Saturday, July 30, 2011

Experience After Death (Near Death Experience )

अनुभव मौत के बाद : हार्ट अटैक के बाद मौत का नजारा!
Experience After Death (Near Death Experience - NDE)

मौत के करीब पहुंचने का अनुभव कैसा होता है, यह जानने के लिए डॉक्टर दिल का दौरा झेल चुके लोगों के बीच एक बड़ा  अध्ययन  करने जा रहे हैं।
ब्रिटेन और अमरीका के 25 अस्पतालों के डॉक्टर ऎसे 1500 लोगों से उनका अनुभव पूछेंगे, जिनके दिल ने धड़कना या मस्तिष्क ने काम करना बंद कर दिया था और फिर उनका जीवन लौट आया।
डॉक्टर जानना चाहते हैं कि क्या ऎसे लोगों को अपने शरीर से बाहर भी कोई अनुभव हुआ था। ऎसे अनुभव से गुजर चुके कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने गुफा देखी या फिर तेज रोशनी, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि उन्होंने ऊपर से मेडिकल स्टाफ को देखा।
तीन साल में होने वाले इस शोध का संयोजन साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी करेगी। इस प्रयोग के लिए ऎसी जगहों पर तस्वीरें लगाई जाएंगी जो सिर्फ छत से दिखाई पड़ सकती हैं।
इस शोध का नेतृत्व कर रहे डॉ. सैन पार्निया का कहना है यदि आप ये दिखा सकें कि मस्तिष्क के काम करना बंद करने के बाद भी किसी की चेतना बची रहती है तो एक संभावना यह दिखती है कि चेतना कोई अलग ही चीज है। उनका कहना है कि इसकी संभावना बहुत कम है कि ऎसे बहुत से मामले मिलें, लेकिन हमें अपना दिमाग खुला रखना होगा। वे कहते हैं, "यदि उस तस्वीर को कोई नहीं देख पाता है तो यह मानना ठीक होगा कि लोगों ने जो अनुभव बताए वो केवल भ्रम थे या फिर कोई झूठी याद है। डॉ. पार्निया का कहना है कि यह एक रहस्य है, लेकिन अब इसका वैज्ञानिक परीक्षण किया जा सकता है। सघन चिकित्सा कक्ष में काम करने वाले डॉ. पार्निया का मानना है कि मौत के करीब पहुंचने पर होने वाले अनुभवों को लेकर वैज्ञानिक क्षेत्र में बहुत अधिक काम नहीं किया गया। वे कहते हैं, यह एक पूरी प्रक्रिया होती है, जिसमें पहले दिल धड़कना बंद करता है। फिर फेफड़े काम करना बंद करते हैं और फिर मस्तिष्क काम करना बंद कर देता है। यह एक चिकित्सकीय स्थिति है, जिसे ह्वदयाघात कहा जा सकता है।
डॉ. पार्निया कहते हैं कि ह्वदयाघात के दौरान ये तीनों परिस्थितियां मौजूद होती हैं। उनका कहना है कि उसके बाद एक ऎसा समय शुरू होता है, जब चिकित्सीय उपायों से दिल की धड़कन को शुरू किया जा सकता है और मौत की प्रक्रिया को रोका जा सकता है। यह समय कुछ सैकेंड का भी हो सकता है और एक घंटे का भी।
वे कहते हैं, ह्वदयाघात के दौरान लोगों का अनुभव एक मौका देगा कि हम समझ सकें कि मौत की प्रक्रिया के दौरान का अनुभव कैसा होता है।

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