‘मैं कुमरहा का राधे हूं...’ (ReBirth/ReIncarnation Story)
खटीमा। भले ही विज्ञान पुनर्जन्म की बातों पर विश्वास न करता हो लेकिन यहां न्याय पंचायत झनकट में इस तरह का एक मामला प्रकाश में आया है। ‘मैं कुमरहा का राधे हूं...’ यह कहना है झनकट में रहने वाले चाल साल के हर्षित का। बालक बता रहा है कि अज्ञात कारण से हुई मौत के बाद उसका जन्म झनकट में हुआ है। बालक की बताई बातें सच होने पर उसके पिछले और इस जन्म के परिजन उसका पुनर्जन्म होना मान रहे हैं। हालांकि चिकित्सक पुनर्जन्म की अवधारणा को मनगढ़ंत बता रहे हैं।
नगर से लगे कुमरहा गांव निवासी राधे की 23 फरवरी 2007 में अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी। उसकी पत्नी फूलमती को राधे ने स्वप्न में बताया था कि वह झनकट में जन्म लेगा। उसके बाद फूलमती ने झनकट में काफी तलाश की लेकिन उसे बच्चे की जानकारी नहीं मिली। 27 फरवरी 2007 को झनकट निवासी नरेंद्र और मिथलेश के घर जन्मे एक बालक ने जब आम बच्चों की अपेक्षा पहले बोलना शुरू किया तो उसने खुद को कुमरहा का राधे बताया।
हर्षित की बातों की सच्चाई जानने के लिए उसके वर्तमान माता-पिता करीब 15 दिन पूर्व उसे लेकर कुमरहा गांव पहुंचे। यहां पर हर्षित की राधे के परिजनों से मिलाने पर उसने पूर्वजन्म की अधिकांश बातें बता दीं। राधे की पत्नी फूलमती ने बताया कि हर्षित ने उसे एक दुकान होने, घर के आंगन के पास जामुन का पेड़ और उसकी मौत से जुड़ी बातें अक्षरश: बताईं। फूलमती को पूरा विश्वास है कि उसके पति ने दूसरा जन्म हर्षित के रूप में लिया है। इधर हर्षित की ताई प्रतिमा राणा भी कहती हैं कि हर्षित ने जब बोलना शुरू किया था तो उसे अपने पिछले जन्म से जुड़ी अधिकांश बातें याद थी लेकिन अब धीरे-धीरे वह सब भूलने लगा है। घर के लोग भी उसे वह सब बातें भूलने के लिए कहते हैं। उन्होंने बताया कि हर्षित की पूर्वजन्म की पत्नी और बच्चे यहां आते हैं लेकिन हर्षित पूर्व जन्म की पत्नी से अधिक बात नहीं करता अलबत्ता राधे के बच्चों से खेलता है। पुनर्जन्म को लेकर आनंद अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. एके सक्सेना कहते हैं कि पुनर्जन्म की बात करना मानसिक रोग की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कई रोगी उनके पास आते हैं। कुछ लोग स्वयं को भगवान कहने लगते हैं। उन्होंने कहा कि पुनर्जन्म की अवधारणा ही गलत है।
नगर से लगे कुमरहा गांव निवासी राधे की 23 फरवरी 2007 में अज्ञात कारणों से मौत हो गई थी। उसकी पत्नी फूलमती को राधे ने स्वप्न में बताया था कि वह झनकट में जन्म लेगा। उसके बाद फूलमती ने झनकट में काफी तलाश की लेकिन उसे बच्चे की जानकारी नहीं मिली। 27 फरवरी 2007 को झनकट निवासी नरेंद्र और मिथलेश के घर जन्मे एक बालक ने जब आम बच्चों की अपेक्षा पहले बोलना शुरू किया तो उसने खुद को कुमरहा का राधे बताया।
हर्षित की बातों की सच्चाई जानने के लिए उसके वर्तमान माता-पिता करीब 15 दिन पूर्व उसे लेकर कुमरहा गांव पहुंचे। यहां पर हर्षित की राधे के परिजनों से मिलाने पर उसने पूर्वजन्म की अधिकांश बातें बता दीं। राधे की पत्नी फूलमती ने बताया कि हर्षित ने उसे एक दुकान होने, घर के आंगन के पास जामुन का पेड़ और उसकी मौत से जुड़ी बातें अक्षरश: बताईं। फूलमती को पूरा विश्वास है कि उसके पति ने दूसरा जन्म हर्षित के रूप में लिया है। इधर हर्षित की ताई प्रतिमा राणा भी कहती हैं कि हर्षित ने जब बोलना शुरू किया था तो उसे अपने पिछले जन्म से जुड़ी अधिकांश बातें याद थी लेकिन अब धीरे-धीरे वह सब भूलने लगा है। घर के लोग भी उसे वह सब बातें भूलने के लिए कहते हैं। उन्होंने बताया कि हर्षित की पूर्वजन्म की पत्नी और बच्चे यहां आते हैं लेकिन हर्षित पूर्व जन्म की पत्नी से अधिक बात नहीं करता अलबत्ता राधे के बच्चों से खेलता है। पुनर्जन्म को लेकर आनंद अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के मानसिक रोग विशेषज्ञ डा. एके सक्सेना कहते हैं कि पुनर्जन्म की बात करना मानसिक रोग की श्रेणी में आता है। उन्होंने कहा कि इस तरह के कई रोगी उनके पास आते हैं। कुछ लोग स्वयं को भगवान कहने लगते हैं। उन्होंने कहा कि पुनर्जन्म की अवधारणा ही गलत है।
Source : http://www.amarujala.com/city/Udham%20singh%20nagar/Udham%20singh%20nagar-15786-118.html
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