Monday, July 18, 2011

Rebirth Reincarnation Science & Scientist

Rebirth Reincarnation Scienc, Scientist & Parapsychology

एक समय ऐसा था जब अपने को तार्किक बताने वाले बुध्दिजीवी पुनर्जन्म की घटना को बकवास कहकर हँसी उड़ाते थे। पर अब समय बदल रहा है, अधिकांश तार्किक यह मानने लगे हैं कि जिसे बुध्दि समझ नहीं सकती, वैसा ही इस दुनिया में कुछ हो रहा है।
भारत के प्रखर बुध्दिवादी जस्टिस वी.आर. कृष्णा अय्यर का अनुभव कहता है कि उनकी पत्नी की मृत्यु के बाद वह रोज उनके सपने में आकर उनसे बात करतीं थीं। इसका जिक्र उन्होंने अपनी किताब डेथ ऑटरय में भी किया है। इस किताब को कोणार्क पब्लिकेशंस ने प्रकाशित किया है।

आधुनिक विज्ञान के अनुसार पुनर्जन्म का संबंध टेलीपेथी या मानवशास्त्र से हो सकता है। विद्यार्थी टेस्ट बुक के रूप में इंट्रोडक्शन टु साइकोलॉजी का अध्ययन करते हैं, उसके लेखक रिचर्ड अटिकिंसन कहते हैं- पेरासाइकोलॉजी विषय में जजो शोध हो रहे हैं, इस बारे में हमें बहुत सी शंकाएँ हैं। पर हाल ही में टेलिपेथी के संबंध में जो शोध हुए हैं, वे हमें विवश करते हैं कि हम उसे स्वीकार लें। पुनर्जन्म और टेलिपेथी पर किताब लिखने वाले डॉ. डीन रेडिन एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात कहते हैं- इस प्रकार की घटनाओं के जितने सुबूत पेश किए गए हैं, उतने सुबूत यदि किसी अन्य विषय पर पेश किए होते, तो वैज्ञानिक कब का इसे स्वीकार चुके होते। यही विज्ञान और धर्म के बीच संघर्ष का जन्म होता है।

आज देश ही नहीं, बल्कि विश्व के कई वैज्ञानिक बड़ी उलझन में हैं। वहीं बहुत सारी धार्मिक मान्यताओं में से एक मान्यता अब वैज्ञानिक आधार प्राप्त करने लगी है। ये धार्मिक मान्यता है, पुनर्जन्म की। टीवी पर प्रसारित राज पिछले जन्म का दिनों-दिन लोकप्रिय हो रहा है। इससे लोग अपने पुनर्जन्म की घटनाओं को जानने की चाहत बढ़ गई है। वैज्ञानिक अब तो इसे पूरी तरह से नकार रहे थे, इसके लिए उनके पास तमाम दावे भी थे। पर अब वे नर्वस नजर आ रहे हैं, क्योंकि अपने ही पुराने आधारों के कारण वे पुनर्जन्म को स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है, वही नई वैज्ञानिक शोधो को वे नकार नहीं पा रहे हैं, इसलिए वे इस पर कुछ बोलना भी नहीं चाहते।

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक पुनर्जन्म होता है लेकिन कोई भी व्यक्ति मरने के तुरंत बाद ही दूसरा जन्म ले यह संभव नहीं है। अगर हिंदू मान्यताओं पर विश्वास किया जाए तो मृत्यु के बाद आत्मा इस वायु मंडल में ही चलायमान होती है। स्वर्ग-नर्क जैसे स्थानों पर घूमती है।
लेकिन उसे एक न एक दिन शरीर जरूर लेना पड़ता है। ज्योतिष शास्त्र इस बात को ज्यादा मजबूती से रखता है। धर्म में जिसे प्रारब्ध कहा जाता है, यानी पूर्व कर्मों का फल, वह ज्योतिष का ही एक हिस्सा है। इसलिए ज्योतिष की लगभग सारी विधाएं ही पुनर्जन्म को स्वीकार करती हैं। इस विद्या का मानना है कि हम अपने जीवन में जो भी कर्म करते हैं उनमें से कुछ का फल तो जीवन के दौरान ही मिल जाता है और कुछ हमारे प्रारब्ध से जुड़ जाता है। इन्हीं कर्मों के फल के मुताबिक जब ब्रह्मांड में ग्रह दशाएं बनती हैं, तब वह आत्मा फिर से जन्म लेती है। इस प्रक्रिया में कई साल भी लग सकते हैं और कई दशक भी।


मुंबई की एक महिला बासंती भायाणी अपने परिवार में हुई पुनर्जन्म की एक घटना 8 सितम्बर 2004 के एक गुजराती अखबार में प्रकाशित हुई है। इस घटना में जूनागढ़ की एक ब्राह्मण कन्या गीता का जन्म भावनगर के एक जैन परिवार में राजुल के रूप में हुआ। राजुल जब अपने पिछले जन्म को याद करने लगी, तो उसे जूनागढ़ ले जाया गया, यहाँ उसने अपना घर, स्वजन ही नहीं, बल्कि अपनी गुडिया तक को पहचान लिया। जब राजुल की शादी हुई, तब उसके पूर्वजन्म के परिजनों ने उसे बहुत सारा दहेज भी दिया। आज राजुल अहमदाबाद में अपने छोटे से परिवार में रहती है।
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वैज्ञानिकों को पुनर्जन्म के सत्य का रहस्य विविध आधुनिक उपकरणों के माध्यम आदि से करना चाहिए | साथ ही भारत सरकार को इस दिशा में एक मजबूत पहल करते हुए इस दिशा में एक शोध विभाग की स्थापना करनी चाहिए

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