Thursday, July 21, 2011

अबोध बालक सुना रहा पुनर्जन्म का किस्सा

अबोध बालक सुना रहा पुनर्जन्म का किस्सा ( Infant boy, telling the story of rebirth )

Is Reincarnation/Re Birth Story Evidence - God Existence


कुम्मी [सुंदरनगर], [हंसराज सैनी]। वैज्ञानिकों के लिए पुनर्जन्म की बातें भले कोरी कल्पना हो पर बल्ह विधानसभा क्षेत्र के सवा दो साल के बालक के माता-पिता के लिए यह परेशानी का सबब बन गया है। इलाके के लोग भी इस चर्चा से हैरान हैं। यह अबोध बालक कई दिन से लगातार पिछले जन्म की बातें कहकर अपने पुराने घर जाने की जिद कर रहा है।
पुनर्जन्म की बात करने वाला बालक निखिल इस समय मात्र दो साल चार माह का है। वह बल्ह हलके के कुम्मी गांव निवासी दलित समुदाय के भागीरथ का पुत्र है। भागीरथ ने बताया कि निखिल पिछले कई दिन से एक ही रट लगाए हुए है कि वह पिछले जन्म में सुंदरनगर के कांगू कस्बे का रहने वाला था और ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखता था। उसकी मौत युवावस्था में ही एक सड़क हादसे में हुई थी। इस हादसे में उसकी बहन भी मौत का ग्रास बन गई थी। मात्र एक साल की उम्र में बोलना शुरू करने वाले निखिल के मुंह से यह बातें सुनकर उसके पिता भागीरथ व माता सुरेंद्रा कुमारी ने पहले विश्वास नहीं किया। सवा वर्ष बाद जब निखिल अपने पिछले घर यानि कांगू हमेशा के लिए जाने की जिद करने लगा तो परिजनों के होश उड़ गए। निखिल की बातों की विश्वसनीयता जांचने के लिए परिजनों ने पहले मंदिरों का सहारा लिया तो वहां भी उसके दावों पर मुहर लगाई गई, जिससे भागीरथ व सुरेंद्रा के दिल की धड़कने बढ़ गई। हर हालात में अपने पूर्व घर जाने पर आमादा दिख रहे निखिल की याददाश्त को भुलाने की परिजन हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। मां-बाप इकलौते लाडले को किसी भी सूरत में नहीं खोना चाहते हैं।
भागीरथ का कहना है कि निखिल जब छह माह का था तो गाड़ियों का शोर सुन या गाड़ी देख मां के आंचल में सहम कर जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर देता था। वहीं सुरेंद्रा का कहना है कि वह बेटे के मुंह से पुनर्जन्म की बातें सुनकर तंग आ चुकी है। सुरेंद्रा को यह भी डर है कि निखिल बड़ा होकर सचमुच कहीं कांगू न चला जाए, इसलिए इतने दिनों तक मामले पर पर्दा डाले रखा।
मामले की सत्यता जानने के लिए जब इस पत्रकार ने कांगू के पंचायत उप प्रधान चेतन शर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्ष में विभिन्न सड़क हादसों में ब्राह्मण परिवार के कई युवकों की मौत हुई हैं।
विशेषज्ञ की राय:
-हालांकि पराविज्ञान या धर्म शास्त्र को मानने वाले धार्मिक लोग इस पर पूर्ण विश्वास करते है। क्योंकि ऐसा व्यक्ति पूरे तथ्यों व साक्ष्यों के साथ अपनी बात रखता है जिसे साबित भी किया जाता है, इसलिए इसे नकारा नहीं जा सकता। लेकिन विज्ञान में इसे अब तक किए प्रयोगों में साबित नहीं किया जा सका है। इसे 'मेंटल डिस्आर्डर' भी नहीं कहा जा सकता। विज्ञान की भाषा में इसे 'स्पेशल एबिलिटी' कहा जाता है। जिस तरह से कई लोग अपनी तीव्र मस्तिष्क शक्ति से कई असाध्य कार्य कर देते हैं, उसी तरह से पुनर्जन्म की बात करने वाले लोग भी असाधारण होते है।'
[डा. रवि शर्मा, मनोचिकित्सक, इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज व अस्पताल]

Source : http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_4089662/ 

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