दो वर्ष की उम्र से पूजा-पाठ में तल्लीन लोकेश (ReIncarnation/ReBirth Story)
गंगेश्वरी/बुरावली। गंगेश्वरी क्षेत्र के गांव कसाईपुरा में छह वर्ष का बालक पुनर्जन्म की यादों को बता रहा है। दो वर्ष की उम्र से वह पूजा-पाठ में लगा है और हरिद्वार के पंचदशानन जूना अखाड़े के महाराज करणपुरी की सदस्यता भी ग्रहण कर चुका है। बच्चे को देखने वालों का तांता लगा हुआ है।
धन सिंह खडगवंशी का छह वर्षीय पुत्र लोकेश १० सितंबर वर्ष २००४ को पैदा हुआ था। परिजनों के मुताबिक पैदा होने के छह माह बाद ही उसने बोलना शुरू कर दिया। दो वर्ष की उम्र पूरी करते ही वह भक्ति में लीन हो गया। उसने परिजनों को बताया कि पूर्वजन्म में वह प्रभु का भक्त था और उसका नाम प्रकाश था। धन सिंह के मुताबिक ३ वर्ष की उम्र में लोकेश धूनी लगाकर तपस्या में लीन हो गया। कहने पर उसे हरिद्वार के कुंभ मेला लेकर गए, जहां पंचदनानन जूना अखाड़े के स्वामी करणपुरी व उनके शिष्य स्वामी फूलपुरी से दीक्षा ली। तीन भाईयों व दो बहनों से बड़ा लोकेश इसके बाद से गेरुए वस्त्र पहनकर तपस्पा में लीन रहता है। साधना में लीन छह वर्षीय बालक को देखने के लिए उसके घर पर भक्तों का तांता लगा रहता है। धन सिंह का कहना है कि प्रकाश उसके पिता थे और जब उनकी मौत हुई थी तो लोकेश मां के गर्भ में था। लोकेश वह सभी घटनाएं बताता है जो उसके पिता के जीवन में घटित हुई थीं।
धन सिंह खडगवंशी का छह वर्षीय पुत्र लोकेश १० सितंबर वर्ष २००४ को पैदा हुआ था। परिजनों के मुताबिक पैदा होने के छह माह बाद ही उसने बोलना शुरू कर दिया। दो वर्ष की उम्र पूरी करते ही वह भक्ति में लीन हो गया। उसने परिजनों को बताया कि पूर्वजन्म में वह प्रभु का भक्त था और उसका नाम प्रकाश था। धन सिंह के मुताबिक ३ वर्ष की उम्र में लोकेश धूनी लगाकर तपस्या में लीन हो गया। कहने पर उसे हरिद्वार के कुंभ मेला लेकर गए, जहां पंचदनानन जूना अखाड़े के स्वामी करणपुरी व उनके शिष्य स्वामी फूलपुरी से दीक्षा ली। तीन भाईयों व दो बहनों से बड़ा लोकेश इसके बाद से गेरुए वस्त्र पहनकर तपस्पा में लीन रहता है। साधना में लीन छह वर्षीय बालक को देखने के लिए उसके घर पर भक्तों का तांता लगा रहता है। धन सिंह का कहना है कि प्रकाश उसके पिता थे और जब उनकी मौत हुई थी तो लोकेश मां के गर्भ में था। लोकेश वह सभी घटनाएं बताता है जो उसके पिता के जीवन में घटित हुई थीं।
Source : http://www.amarujala.com/city/Jyotiba%20phule%20nagar/Jyotiba%20phule%20nagar-3949-45.html
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