Tuesday, July 19, 2011

हम सब अब हिंदू हैं ! –अमेरिका में गूंजा

हम सब अब हिंदू हैं ! –अमेरिका में गूंजा
अमेरिकी साप्ताहिक ‘न्यूजवीक’ में लिजा मिलर का वक्तव्य !
( We are Hindu - Coined in USA)
American NewsWeek - Liza Milar

कम से कम हमारे देश में कथिक प्रबुद्ध विचारकों को इस बात से अवश्य आश्चर्य होगा यदि कोई अमेरिकी पत्रकार विश्व विख्यात अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका ‘न्यूजवीक ‘, ( अगस्त 24 व 31, 2009) में टिप्पणी लिखे कि अमेरिका एक ईसाई राष्ट्र नहीं रहा है। सेमिटिक धर्मों की गलाकाट प्रतिद्वंदिता व अपनी-अपनी श्रेष्ठता-ग्रंथि के बावजूद आज अनेक चिंतक व विचारक आर्नाल्ड टायनबी की उस अवधारणा में विश्वास करने लगे हैं जिनमें उन्होंने कहा था कि विश्व भविष्य हिन्दू-बौद्ध अवस्थाओं की वापसी द्वारा ही निर्णीत होगा जो एक बड़ी संभावना है।
लिजा मिलर नामक लेखिका ने अपनी उपर्युक्त टिप्पणी में कहा है कि यद्यपि यह सच है कि अमेरिकी राष्ट्र की नींव ईसामसीह के अनुयाइयों द्वारा रखी गई थी और आज भी हर अमेरिकी राष्ट्रपति यह बात दोहराता है कि चर्च अमेरिकी प्रजातंत्र की आत्मा है पर आस्थाओं के सहअस्तित्व, बहुसंस्कृतिवाद और बहुलतावादी समावेशी दृष्टि मान हिन्दु धर्म की छत्रछाया में ही पनप सकती है। लिजा मिलर ने सन 2008 में किए गए एक सर्वेक्षण को उध्दृत करते हुए लिखा है कि अब मात्र 76 प्रतिशत अमेरिकी हीं अपनी पहचान को ईसाई बताकर ईसाई इंगित करते हैं। यद्यपि बहुसंख्यक अभी भी अपने को हिंदु, मुस्लिम या यहुदी राष्ट्र से जोड़ना नहीं चाहेंगे पर जो हवा आज अमेरिका में बह रही है उसमें हिंदु आस्था के अनेक आयाम जैसे योग, ध्यान, शाकाहार, अहिंसा, भक्ति एवं उत्सवी संस्कृति अधिकाधिक रूप से स्वीकार्य है।
आज 10 लाख से अधिक संयुक्त राज्य अमेरिका में हिंदू रहते है और कभी भारत के भीतर वे यद्यपि हीनता-ग्रंथि या संशय के कभी-कभी शिकार हो सकते हैं पर अमेरिका में रहने वाले हिंदू, अंतर्विरोधों के बावजूद, अधिक समान्नित, जाग्रत और अपने अतित व परंपराओं का आदर करते हैं


लिजा मिलर के अनुसार, अब अमेरिकी यह विचार कि वे ही धार्मिक रूप से श्रेष्ठ हैं, छोड़ना चाहते हैं। सन 2008 को ‘पिव फोरम’ के सर्वेक्षण के अनुसार 65 प्रतिशत अमेरिकी विश्वास करने लगें हैं कि ‘कई धर्मों के विश्वास की बातों में शाश्वत जीवन के रहस्य छिपे हैं जिनमें 37 प्रतिशत वे लोग जो श्वेत इवेंजिलिक्स वर्ग में आते हैं। चर्च के बाहर के विश्वासों में मुक्ति-मार्ग की खोज अब अधिकाधिक लोग कर रहे हैं

अधिक महत्वपूर्ण प्रश्न है कि मृत्यु के बाद क्या होता है? सामान्यरुप से ईसाइयों का विश्वास है कि शरीर और आत्मा दोनों पवित्र हैं क्योंकि जीवों को पुनरुत्थान के समय वे पुनः जीवित होंगे। हिंदू इनमें विश्वास नहीं करते हैं और इसलिए मृत शरीर को चिता में जलाते हैं क्योंकि आत्मा मुक्त हो जाती है या पुनर्जन्म होता है। ‘क्रिमेशन एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका’ के अनुसार आज एक तिहाई अमेरिकी मृतदेह का दाहकार्य करने का विकल्प चुनते हैं जब कि 1975 में यह मात्र 6 प्रतिशत था।

Source : http://atulayabharat.com/?p=11617

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