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Sunday, October 9, 2011

बिगेस्ट / सबसे बड़ी खोज (Biggest Discovery of Mankind)

क्या अब समय यात्रा संभव हो जाएगी ?
(Is Time Travel Possible Now )

स्विट्जरलैंड में यूरोपीय परमाणु अनुसंधान केंद्र (सर्न) और इटली के वैज्ञानिकों ने घोषणा की है कि उन्हें ऐसे पार्टिकल मिले हैं जो प्रकाश की गति से तेज चलते हैं. वैज्ञानिक  समुदाय अचम्भे में

अगर यह   साबित हो जाता है तो आइंस्टाइन का सापेक्षता का सिंद्धात गलत साबित हो जाएगा.स्विट्जरलैंड की सर्न प्रयोगशाला और इटली की प्रयोगशाला में हुए प्रयोग के दौरान यह सामने आया है. उन्होंने पाया कि ये छोटे सब एटॉमिक पार्टिकल 3,00,00,06 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से जा रहे हैं जो प्रकाश की गति से करीब छह किलोमीटर प्रति सेकंड ज्यादा


इस प्रयोग के प्रवक्ता भौतिकविद एंटोनियो एरेडिटाटो ने कहा, "यह नतीजा हमारे लिए भी आश्चर्यजनक है. हम न्यूट्रिनो की गति नापना चाहते थे लेकिन हमें ऐसा अद्भुत नतीजा मिलने की उम्मीद नहीं थी. हमने करीब छह महीने जांच, परीक्षण, नियंत्रण और फिर से जांच करने के बाद यह घोषणा की है. न्यूट्रीनो प्रकाश की तुलना में 60 नैनो सेंकड जल्दी पहुंचे."

Neutrino particle contains mass also, And according to Albert Einstein - Mass becomes infinite at the speed of light.
And nothing can be faster than light.
However, if something moves faster than light then it can travel in past or future.
We can send information in the past or future.

इस प्रयोग में शामिल वैज्ञानिकों ने इसके नतीजों के बारे में नपे तुले शब्दों में बात की. सर्न के निदेशक सर्गियो बेर्टोलुची ने कहा, "अगर इस नतीजे की पुष्टि हो जाती है तो हमारा भौतिकी को देखने का नजरिया बदल जाएगा

न्यूट्रीनो पर कोई आवेश नहीं होता और ये इतने छोटे होते हैं कि उनका द्रव्यमान भी अभी अभी ही पता चल सका है. इनकी संख्या तो बहुत होती है लेकिन इनका पता लगाना मुश्किल है. इन्हें भुतहा कण भी कहा जाता  है और ये सूरज जैसे तारों में न्यूक्लियर फ्यूजन के कारण पैदा होते हैं


सर्न से 732 किलोमीटर दूर स्थित ग्रैन सासो प्रयोगशाला को भेजे गए न्यूट्रिनो प्रकाश की गति से एक सेकेंड के बहुत ही छोटे हिस्से से तेज़ पाए गए। शोधकर्ता स्वीकार कर रहे हैं कि वे इस नतीजे से काफी आश्चर्यचकित हैं


पार्टिकल फिजिक्स की दुनिया में इस घोषणा से सनसनी फैल गई है. फ्रांस में भौतिकी संस्थान के पिएरे बिनेट्यूरी ने कहा, "सामान्य सापेक्षता और विशेष सापेक्षता दोनों ही सिद्धांतों पर इससे सवाल खड़ा हुआ है." बोलोन्या इटली में भौतिकविद एंटोनियो जिचिषी कहते हैं, "अगर आप प्रकाश की गति को छोड़ दें तो विशेष सापेक्षता का सिद्धांत तो नाकाम हो जाएगा."


कई प्रकार के होते हैं न्यूट्रिनो
न्यूट्रीनो कई प्रकार के होते हैं और हाल में दिखा कि वे जल्दी ही एक से दूसरे प्रकार में बदल जाते हैं। टीम ने सिर्फ एक तरह के न्यूट्रीनो- म्युऑन न्यूट्रिनोज सर्न से इटली में ग्रैन सासो की भूमिगत प्रयोगशाला में भेजा जिससे पता चले कि उनमें से कितने रूप बदलकर टउ न्यूट्रीनो के रूप में वहाँ पहुंचे।
इस प्रयोग के दौरान शोधकर्ताओं ने देखा कि उतनी ही दूरी इन कणों ने सेकंड के कुछ अरब हिस्से से प्रकाश से तेजी से तय कर ली।
सर्न टीम ने इस टीम ने न्यूट्रीनो की ये दूरी तय करने का प्रयोग लगभग 15 हजार बार किया और उसके बाद इतनी बार इस अहम जानकारी को पाया जिसे एक औपचारिक खोज कहा जा सके।

यदि वैज्ञानिकों की यह खोज सही साबित होती है तो महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी (सापेक्षता का सिद्धांत) खारिज हो जाएगी।

वहीं दूसरी ओर प्रयोग में शामिल रहे अलफॉन्स वेबर ने कहा कि इसमें किसी चूक की भी गुजांइश हो सकती है, इसलिए वह थोड़ा सतर्क हैं।


जानकारों का मानना है कि ताजा परिणामों से भौतिकी की अवधारणा में थोड़ा बदलाव जरूर आएगा। न्यूट्रिनो इतने सूक्ष्म कण हैं कि कुछ समय पहले ही यह पता लगा कि इनमें भार भी होता है। फ्रांसीसी वैज्ञानिक पियरी बिनेट्रॉय ने इन परिणामों को क्रांतिकारी बताते हुए कहा कि यदि लोग इसे स्वीकार करते हैं तो भौतिकी विशेष्ाज्ञों को वापस अपने सिद्घांत दुरूस्त करने होंगे।

न्यूट्रिनो स्रोत -
न्यूट्रिनो प्राकृतिक रूप में तो मिलता ही है, इसका निर्माण कृत्रिम तरीके से भी किया जा सकता है। कृत्रिम न्यूट्रिनो के महत्वपूर्ण स्रोत परमाणु रिएक्टर हैं, जहां नाभिकीय विखंडन इसके निर्माण में सहायक होता है। परमाणु बम भी काफी मात्रा में न्यूट्रिनो बनने के कारक होते हैं। इसके अतिरिक्त यह घरती के अंदर प्राकृतिक रूप से होने वाले रेडिएशन, वातावरण में कॉस्मिक किरण और आणविक कणों में होने वाले संयोग, नाभिकीय संलयन आदि से भी बनता है। सुपरनोवा और बिग बैंग सिद्धांत भी इसके निर्माण में सहायक होते हैं।

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वैसे यह नहीं मान लेना चाहिए कि अगर न्यूट्रिनो के प्रकाश की गति से तेज चलने की बात अंतिम रूप से सिद्ध हो गई, तो इससे आइंस्टीन गलत सिद्ध हो जाएंगे, या क्वांटम सिद्धांत बीते जमाने की बात हो जाएगा। होगा यह कि आधुनिक विज्ञान की पेचीदा पहेलियां और ज्यादा पेचीदा हो जाएंगी। सापेक्षता सिद्धांत और क्वांटम सिद्धांत कई प्रयोगों की कसौटियों पर खरे उतरे हैं और इनका सबसे बड़ा प्रमाण हमारे आधुनिकतम इलेक्टॉनिक उपकरण हैं। अगर हम कंप्यूटर इस्तेमाल कर पाते हैं या उपग्रह के जरिये टेलीविजन पर बेहद साफ तस्वीर देख पाते हैं, तो यही भौतिकी के इन सिद्धांतों के सच होने का प्रमाण है। समस्या यह है कि कई सैद्धांतिक कसौटियों पर खरे उतरने के बाद और व्यावहारिक उपयोगों के बावजूद आधुनिक भौतिक विज्ञान की कई ऐसा गुत्थियां हैं, जिनका कोई समाधान विज्ञान में नहीं मिल पाया है, खासकर क्वांटम तो विरोधाभासों का पिटारा है, जिसके आधार पर बट्रेंड रसेल जैसे चिंतक इस भौतिक जगत की वास्तविकता को ही चुनौती दे चुके हैं। ‘सर्न’ के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य है एक महत्वपूर्ण कण ‘हिग्ज बॉसॉन’ की खोज करना और अब तक के संकेत बताते हैं कि ‘हिग्ज बॉसॉन’ के मिलने की संभावना बहुत कम हो गई है। अगर हिग्ज बॉसॉन की अनुपस्थिति प्रमाणित हो गई, तो भी भौतिकी के वर्तमान नियम उलट-पुलट जाएंगे।
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1930 में एक ऑस्ट्रियाई वैज्ञानिक होल्फगॉन्ग पॉली ने न्यूट्रिनो नामक एक घोस्ट पार्टिकल्स यानि भूतिया अणु के अस्तित्व का अनुमान लगाया था। इसकी गति इतनी तेज होती है कि हर पल इसके अरबों-खरबों कण हमारे शरीर को आर-पार करते हुए ब्रह्मांड की सैर पर निकल जाते हैं। इनके लिए हमारे शरीर का मानो कोई अस्तित्व ही न हो। हर पल ऐसा खरबों (लगभग पांच खरब) न्यूट्रिनो कण हमारे शरीर के प्रतिवर्ग सेंटीमीटर हिस्से में प्रवेश कर पल भर में शरीर के दूसरे छोर से निकल जाया करते हैं। ये तीर इतने सूक्ष्म होते हैं और इसका इतना अधिक वेग होता है कि हमें इनके आने-जाने का कुछ पता ही नहीं चलता। इसीलिए इसे गॉड पार्टिकल्स या ईश्वर अणु भी कहा जाता है। बहरहाल, इसे जानने के प्रयास में दुनिया भर के वैज्ञानिक लगे हुए हैं।
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लंबे समय से भारत में भी न्यूट्रिनो को लेकर शोध कार्य चल रहे हैं। इस शोध का सेहरा भारत के सिर बंध सकता था। लेकिन यह बड़े दुख की बात है कि ऐसा नहीं हुआ। मुंबई स्थित टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के वैज्ञानिक नवकुमार मंडल पिछले दिनों कोलकाता आए हुए थे। उस समय उन्होंने दावा किया था कि इसकी शिनाख्त सबसे पहले भारत के कर्नाटक स्थित कोलार के सोने की खदान में ही हुई थी। पिछले बीस वर्षों से केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के कारण इंडिया बेस्ड न्यूट्रिनो ऑब्जवेटरी (आईएनओ) का कार्यान्वयन अधर में लटका हुआ है। भारत सरकार की अदूरदर्शिता तथा लापरवाही की वजह से न्यूट्रिनो की शिनाख्त के शोधकार्य में अगुवा रहने के बावजूद भारत पिछड़ गया।
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1950 के दशक में ही महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा ने अपने अ‍धीनस्थ शोधकर्ता वीवी श्रीकांतन को कोलार खदान के नीचे शोधकार्य के लिए भेजा था। जमीन के नीचे विभिन्न गहराइयों में म्युअन नामक कणों की उपस्थिति की मात्रा कितनी है, यही मापने का जिम्मा श्रीकांतन को सौंपा गया था। इस दौरान श्रीकांतन तथा उनके साथियों को इस बात का आभास हुआ कि जमीन के नीचे कई किलो मीटर की गरहाई न्यूट्रिनो पर शोध के लिए उत्कृष्ट स्थान है। 1965 में वहां न्यूट्रिनो पर अनुसंधान शुरू हुआ। श्रीकांतन, एकजीके मेनन और वीएस नरसिंह्म जैसे भारतीय वैज्ञानिकों के साथ ओसाका विश्वविद्यालय और डरहम विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भी शामिल हुए। ब्रह्मांड में चक्कर लगानेवाले सूक्ष्म न्यूट्रिनो कणों को पहली बार यहीं पहचाना गया।
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वैज्ञानिकों के अनुसार इस ब्रह्मांड में न्यूट्रिनो प्रकाश की गति के लिए चुनौती है। उनका कहना है कि अगर प्रकाश की गति सबसे तेज नहीं है तो यह पूरा मामला पलट जाएगा। कार्य-कारण का संबंध टूट जाएगा। पहले कार्य होगा और तब कारण होगा। पहले मौत होगी, इसके बाद बंदूक से गोली चलेगी। आया कुछ समझ में? यह मामला बड़ा जटिल है। सर्न के वैज्ञानिकों की माने तो आज का तथ्य हम बीते कल में भेज सकते हैं। हो गया न भेजा फ्राई! विज्ञान कथा में टाइम मशीन का जिक्र है, जिसे हम सबने कभी न कभी पढ़ा है। विज्ञान कथा की यह अवधारणा क्या अब सच होनेवाली है

If cause-effect relation breaks and effect happens before cause then is biggest discovery to understand science, it means we are doing nothing and everything is fixed/predecided. future is fixed. We are happen to do certailn things.

OR As per theories of parallel universe given by Michio Kaku there are several infinite universes and for each cause/effect there are infinite possibilities and happens in infinite universe.

OR As in Hindu Culture -
Brhmaji is created each person with certain cause as per rules of Nature, eg. God Shri Ram has to fight with Ravan and it is predecided by law maker of World Brhmaji, shri Ramji has to face exile for 14 years and to give his kingdom to Bharat. It is predecided.
But we  can't take these as evidences as per law of science.And we have to explore this world with new possibilities.












































Sunday, October 2, 2011

Breakthrough News - Faster-Than-Light-(FTL)-Particles-Discovered- CERN

New Breakthrough News
Faster-Than-Light-(FTL)-Particles-Discovered-
Neutrinos Breaking Cosmic Speed of Limit Detected, Says CERN
Is Einstein was wrong ?

However when Newton discovered gravity and gives theories to understand universe. After that Einstein gives some more clarity through Special Theory of Relativity.
It might be possible that some more things to be added to understand - Universe and its working.

Is Time Travel Possible Now ?
Is making of Time machine possible ?

However Scientist community believe that in this experiment, Some error may be possible in its measurement.

And results of this experiment again under check and this experiment repeat for errors.Its result shown to world scientist community/ people of interst.

If result is true and faster than light (FTL) particle travelling possible then whole understanding about Universe is changed.
Time travelling possible in reality, which is scene in Sci-fi movies






क्या अब समय यात्रा संभव हो जाएगी ?


क्या भोतिकी के नियम बदल जायेंगे ?


क्या आइन्स्टीन सही नहीं थे ?


क्या हम भूत और भविष्य को बदल सकते हैं ? या मिचिओ काकू के अनुसार समान्तर ब्रह्मांड में यात्रा कर सकेंगे ?
 
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जेनेवा में स्थित भौतिकी की दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला सर्न में वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने सबएटॉमिक पार्टिकल यानी अतिसूक्ष्म कण न्यूट्रिनो की गति प्रकाश की गति से भी ज़्यादा पाई है.
 
अगर ऐसा सच हुआ तो ये भौतिकी के मूलभूति नियमों को पलटने वाली खोज होगी क्योंकि उसके मुताबिक़ प्रकाश की गति से ज़्यादा तेज़ कुछ भी नहीं है.



सर्न से 732 किलोमीटर दूर स्थित ग्रैन सासो प्रयोगशाला को भेजे गए न्यूट्रिनो प्रकाश की गति से एक सेकेंड के बहुत ही छोटे हिस्से से तेज़ पाए गए.


शोधकर्ता स्वीकार कर रहे हैं कि वे इस नतीजे से काफ़ी आश्चर्यचकित हैं और इसीलिए उन्होंने कोई दावा नहीं करते हुए अन्य लोगों से स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि करने की अपील की है.

इन शोधकर्ताओं के गुट ने कहा है कि वे इस दावे को लेकर काफ़ी सावधानी बरत रहे हैं.


Saturday, July 23, 2011

About Albert Einstein and his Wish

About Albert Einstein and his Wish

Einstein was a great scientist, He gave famous theory of relativity and the equation E= mc2 (square of C)
and got Nobel Prize desired to burn his body when he died.
Albert Einstein Who gave concept of Time Travel  and now many scientists (Michio Kaku, Ronal Mellat, LHC Project ) are following his principles


In his last days - Einstein refused surgery, saying: "I want to go when I want. It is tasteless to prolong life artificially. I have done my share, it is time to go. I will do it elegantly." He died in Princeton Hospital early the next morning at the age of 76, having continued to work until near the end.

During the autopsy, the pathologist of Princeton Hospital, Thomas Stoltz Harvey, removed Einstein's brain for preservation without the permission of his family, in the hope that the neuroscience of the future would be able to discover what made Einstein so intelligent. Einstein's remains were cremated and his ashes were scattered at an undisclosed location (As per his wish) .

Did Einstein write a last will?
Yes! It was signed by him on March 18, 1950. His secretary Helen Dukas and Dr. Otto Nathan were inserted as administrators of his will. The heirs were among others his step daughter Margot and his two sons Hans Albert and Eduard. His whole written property was given to the Hebrew University in Jerusalem, where it is still to be seen today, in the Albert Einstein Archives.

Where was Albert Einstein buried?
There is no grave. According to Einstein’s wish his body was burned on the same day and the ashes were scattered after a simple ceremony at an unknown place.