Monday, July 18, 2011

पुनर्जन्म की 'वो' रहस्यमयी कहानी !!

पुनर्जन्म की 'वो' रहस्यमयी कहानी !!  (Mysterious strory of reincarnation)

1930 में दिल्ली में शांतिदेवी नामक एक लड़की रहा करती थी। चार साल की उम्र तक वह बहुत कम बोलती थी। फिर उसने बोलना शुरू किया तो सबकी बोलती बंद कर दी। चार साल की शांति ने माता-पिता से कहा कि यह उसका असली घर नहीं है। उसका घर मथुरा में है जहां उसका पति और बच्चे रहते हैं और उसे उनके पास वापस जाना है।

उसने बताया कि उसका नाम लुगड़ी देवी था और बच्चे को जन्म देने के दौरान उसकी मौत हो गई थी। शांति के माता-पिता समझे कि ये पुनर्जन्म का मामला है। उन्होंने शांति को समझाया कि बेटा अपनी पिछली जिंदगी भूल जाओ, लेकिन शांति के दिमाग से ये सब नहीं निकला। उसने स्कूल में भी अपनी टीचर को ये बातें बताईं।

टीचर ने तहकीकात के लिए शांति के बताए पते पर मथुरा पत्र लिखा। जल्द ही उन्हें शांति के बताए गए पते से पिछले जन्म के पति का जवाब मिल गया। उसने बताया कि कुछ साल पहले उसकी पत्नी लुगड़ी देवी की प्रसूति के दौरान मौत हुई थी।

शांति से मथुरा वाले घर के बारे में जो कुछ भी पूछा गया, वो सब सच निकला। यह मामला काफी चर्चित हो गया था। महात्मा गांधी सहित उस दौर के सभी बड़े नेता और अधिकारियों ने मामले की जांच की थी। आशंका थी कि कहीं कोई उसे ये सब जानकारी तो नहीं दे रहा है, लेकिन ऐसी कोई बात सामने नहीं आई।

शांति ने अपने पति और बच्चों को भी पहचान लिया था। उससे पुरानी जिंदगी के बारे में बहुत से सवाल किए गए। उसमें से करीब 24 सवालों का उसने सही जवाब दिया। उसे जब मथुरा ले जाया गया तो वहां भी वह लोगों को पहचानकर उनसे बातें करने लगी। भारतीय संस्कृति में तो पुनर्जन्म को माना जाता है, लेकिन दूसरे देशों के वैज्ञानिकों के लिए ये रहस्य बना रहा कि चार साल की बच्ची ऐसा कैसे कर सकती थी।

राज है गहरा

1930 में दिल्ली की शांतिदेवी पर काफी रिसर्च किया गया। फिर भी ये साबित नहीं किया जा सका कि यह दिमागी बीमारी थी या पुनर्जन्म का मामला था।


Source : http://www.bhaskar.com/article/INT-the-misterious-story-of-rebirth-1757023.html

अपने दादा का ही पुनर्जन्म हैं बिग बी!

 अपने दादा का ही पुनर्जन्म हैं बिग बी! ( Is Big B - Amitabh Bachhan is reincarnation of his granfather )


क्या बॉलिवुड के शहंशाह कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन के रूप में उनके दादा ने ही फिर से जन्म लिया था? आपको यह सवाल भले ही चौंकाने वाला लगे, लेकिन खुद अमिताभ के साहित्यकार पिता हरिवंश राय बच्चन ऐसा ही मानते थे।

बिग बी ने भोपाल के ओरिएंटल कॉलेज में अपने पिता की कविताओं का पाठ करते हुए यह दिलचस्प किस्सा बयां किया। बकौल अमिताभ, मेरे पिता को वाकई लगता था कि मैं खुद उनके पिता का पुनर्जन्म हूं।

मेरे दादा प्रताप नारायण अपने देहावसान के साल भर बाद एक रात मेरे पिता के सपने में आए। मेरे पिता ने उनसे कहा कि मैं अपने जीवन में आपकी काफी कमी महसूस कर रहा हूं। इस पर उन्होंने (मेरे दादा) कहा कि मैं दोबारा तुम्हारे पास रहा हूं। पिता जी चौंककर उठे तो मां बेड से नदारद थीं। वह वॉशरूम गई थीं और प्रसव पीड़ा के कारण वहां बेहोश हो गई थीं। वह तारीख थी - 11 अक्टूबर 1942, जिस दिन मेरा जन्म हुआ।
साभार: पीटीआई

Rajasthan Hanumangarh ReBirth/Reincarnation - Murder Mystery

Rajasthan Hanumangarh ReBirth/Reincarnation - Murder Mystery India पुनर्जन्म का रहस्य
राजस्थान के हनुमानगढ़ में रहने वाला  अवतार  पिछले जन्म  में  संतोष था


क्या एक शरीर छोड़ने के बाद आत्मा दूसरे शरीर में जाती है? क्या पुनर्जन्म की बात सच है? साइंस की माने तो बिलकुल नहीं लेकिन
राजस्थान के हनुमानगढ़ में रहने वाला सात साल का अवतार विज्ञान को चुनौती दे रहा है। अवतार के मुताबिक वो पिछले जन्म  में  संतोष था और पंजाब के फिरोजपुर जिले के अवोहर में उसका घर है।
पुनर्जन्म के सिद्धांत पर सदियों से बहस चलती रही है और हर बार इसे सिरे से खारिज करते रहे हैं लेकिन इस बार एक सात साल के लड़के ने सिर्फ विज्ञान को बल्कि कानून के जानकारों के सामने भी बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। बच्चे का दावा है कि उसका पुनर्जन्म हुआ है और वो अपने उन कातिलों को जानता है जिसने सात साल पहले बेरहमी से उसकी हत्या की थी पुनर्जन्म के दावे में कितनी सच्चाई है। ये बात खुद अवतार के घरवालों के लिए भी बड़ी पहेली बन गई।

मासूम बच्चे के बड़े बड़े दावों के साथ पुनर्जन्म के सिद्धांत की परीक्षा की घड़ी चुकी है। अवतार के पिता चरण सिंह ने फैसला किया कि वो अपने बच्चे को अबोहर लेकर जाएगें। देखें कैसे वो अपने घर का पता बताता है, कैसे संतोष के घरवालों को पहचानता है और उनके सामने कैसे साबित करता है कि जो इस जन्म में अवतार है वही पिछले जन्म का संतोष है।
पंजाब के फिरोजपुर जिले में अबोहर पहुंचते ही सात साल के बच्चे के दिमाग में अजीबगरीब हलचल होने लगी। वो शायद फ्लैश बैक में चला गया। सात साल पहले वो जिन रास्तों से गुजरता था वो उसे एक एक कर याद आने लगे। सैकड़ों चेहरे, दरों दीवार, चौक-चौराहे सब याद आने लगे। सात साल का लड़का अपने पिता को खींचता हुआ आगे बढ़ रहा था। चरण सिंह एक पल के लिए हैरान रह गए।
अवतार एक घर के सामने खड़ा था। उसने इशारा किया, यही है मेरा घर। उस घर में मौजूद लोगों के लिए अवतार के रूप में आए संतोष को पहचानने का सवाल ही नहीं था लेकिन तभी छोटे से बच्चे ने एक एक कर सबको नाम लेकर बुलाना शुरू कर दिया।
सुभाष की बहन रत्ना ने बताया कि घर में बचपन की फोटो को वह पहचान गया। कहने लगा ये मेरे भाई-बहन हैं। फिर घर राजावाली में मम्मी पापा को भी पहचान गया। स्वर्गवासी हो चुके मेरे भाई की तस्वीर देखकर कहने लगा कि ये तो फोटो मेरी है। ये तो मैं हूं। सुभाष हूं मैं।
अवतार के रूप में संतोष की वापसी की खबर आग की तरह फैल गई। पूरे इलाके में हड़कंप मच गया किसी को यकीन ही नहीं हुआ कि ऐसा भी हो सकता है। लोगों को लगा ये कोई ड्रामा तो नहीं? कहीं साजिशन बच्चे को समझा बुझाकर तो नहीं लाया गया है? लिहाजा पुनर्जन्म के दावे की एक और परीक्षा ली गई।
संतोष के घरवालों ने एक ऐसे शख्स से अवतार की बात कराई जो उस समय घर पर मौजूद नहीं था। अवतार संतोष के छोटे भाई से बात कर रहा था। जिसने कुछ देर बाद ही बस अड्डे पर अवतार को मिलने के लिए बुलाया ताकि देख सकें कि भीड़ में भी वो संतोष के भाई को पहचान पाता है या नहीं।
पुनर्जन्म इस परीक्षा में भी अवतार सफल हो गया उसने बस अड्डे पर संतोष के भाई को पहचान लिया।
इसके बाद अवतार ने संतोष की हत्या की पूरी कहानी घरवालों को सुना दी। उसके मुताबिक रुपयों के लेने देन को लेकर निजी फाइनेंस कंपनी के संचालकों ने उसकी हत्या कर दी थी। वारदात को आत्महत्या का रूप देने के लिए बाद में उन्होंने लाश रेलवे ट्रैक पर फेंक दी। हैरानी की बात ये है कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में संतोष की हत्या का मामला निजी फाइनेंस कंपनी के उन्हीं संचालकों के खिलाफ चल रहा है, जिनका अवतार नाम ले रहा है।
अवतार अब चाहता है कि वो अदालत में अपनी ही हत्या की गवाही दे सके। अदालत में अर्जी दाखिल करने के लिए संतोष के घरवालों ने अब एक वकील से भी बातचीत की है लेकिन सवाल ये है कि -क्या अदालत अवतार को गवाही की इजाजत देगी?
-क्या कोर्ट में अवतार की गवाही मान्य होगी?
-क्या पुनर्जन्म के दावे को सही माना जा सकता है?
फिलहाल संतोष के घरवालों के चेहरों पर उम्मीद की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। उम्मीद इंसाफ की, उम्मीद संतोष के लौटने की।
Source : http://www.aakhondekhinews.com/2011/06/blog-post_5918.html
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फिरोजपुर।। पुनर्जन्म को लेकर बहस बहुत पुरानी है और विज्ञान के तर्कों से इसे हर बार खारिज भी कर दिया जाता है। लेकिन राजस्थान के हनुमानगढ़ में रहने वाला सात साल का मासूम अवतार विज्ञान को चुनौती दे रहा है। अवतार ने दावा किया है कि वह पिछले जन्म में सुभाष था और पंजाब के फिरोजपुर के अबोहर में रहता था। उसका यह भी कहना है कि वह अपने कातिलों को जानता है। सुभाष की मौत 15 अगस्त 2004 को ट्रेन से कटने से हो गई थी।
पुनर्जन्म की यह दास्तां राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के लीलावाली गांव में हुई है, जहां के निवासी चरण सिंह के बेटे अवतार सिंह की बातें सुनने और उसे देखने आने वालों का तांता लगा हुआ है। सुभाष के इस ‘ अवतार ’ से जहां दो परिवारों में एक अजब रिश्ता बन गया है, वहीं उसके खुलासे से सुभाष के कत्ल की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस फिर से माथापच्ची करने वाली है।
तीन सालों से अवतार बार-बार कह रहा था कि उसे अबोहर लेकर चलो। वहां उसके मां-बाप, पत्नी और पूरा परिवार रहता है। पिता चरण सिंह ने शुरू में अवतार की इन बातों पर गौर नहीं किया। लेकिन जब वह बीमार पड़ गया और ठीक नहीं हो रहा था तो चरण सिंह बीते दिनों अबोहर पहुंचे। वहां पर अवतार के बताए बातों पुष्टि होने लगी, तो चरण सिंह और उसका परिवार हक्का-बक्का रह गया।
अबोहर में पता चला कि लगभग सात साल पहले सुभाष की रेलगाड़ी से कट जाने के कारण मृत्यु हो गई थी। सुभाष के पिता फकीरचंद और पत्नी भागवंती को जब पता चला कि लीलावाली में पैदा हुआ अवतार उनके बारे में सब कुछ जानता है तो उनसे एक क्षण भी नहीं रुका गया। फकीरचंद अपने परिवार के सदस्यों व रिश्तेदारों को लेकर गांव लीलावाली गए तो अवतार ने सबको पहचान लिया। इससे वहां मौजूद लोग हैरान हो गए। फकीरचंद और चरणसिंह के परिवारों में सहमति बनी है कि अवतार दोनों के घरों में रहेगा।
फकीरचंद और उनके परिवार के लोग सुभाष का अवतार के रूप में पुनर्जन्म की पूरी तसल्ली कर ली है। वे अब विधि-विशेषज्ञों से सलाह-मशवरा कर रहे हैं कि अगर अवतार को सुभाष की हत्या के मामले अदालत में पेश किया जाता है तो इसका केस पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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ऎसा नहीं है कि सूक्ष्म शरीर की ये अवधारणा सिर्फ भारतीय है बल्कि "Egyptian Book of the Dead "   में भी सूक्ष्म शरीर के बारे में विचार प्रकट किए गए हैं।