Showing posts with label आत्मा का सफर. Show all posts
Showing posts with label आत्मा का सफर. Show all posts

Friday, July 29, 2011

जानिए, मौत के बाद कैसा होता है आत्मा का सफर...

जानिए, मौत के बाद कैसा होता है आत्मा का सफर...
( Where spirit/soul goes after Death - Garun Puran Hindus)

यह एक रहस्य ही है कि मौत के बाद की दुनिया कैसी है। शरीर छोडऩे के बाद आत्मा कहां जाती है और क्या इस दुनिया के अलावा भी कोई दुनिया है जहां इंसान को मृत्यु के बाद कर्मफल भोगने पड़ते हैं। किस्से कहानियों में नर्क की यातनाएं और स्वर्ग के सुखों के बारे में जो सुना है वह कितना सच है।

गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि आत्मा की यात्रा अनंत है और यह शरीर केवल इसके लिए एक साधन है। बिलकुल कपड़े की तरह। आत्मा जब एक शरीर छोड़ती है, तो फिर कहीं ओर वह दूसरा शरीर भी धारण करती है। ये बात भलीभांति सुनी और समझी हुई है लेकिन एक शरीर से दूसरे शरीर तक की यात्रा में आत्मा को किन-किन घटनाओं से गुजरना पड़ता है, यह सबसे अधिक रोमांच और जिज्ञासा का विषय है।

हिंदू धर्म ग्रंथों में आत्मा की अनंत यात्रा का विवरण कई तरह से मिलता है। भागवत पुराण, महाभारत, गरूड़ पुराण, कठोपनिषद, विष्णु पुराण,  अग्रिपुराण जैसे ग्रंथों में इन बातों का बहुत जानकारी परक विवरण मिलता है।

मौत के क्षण : क्या होता है जब आत्मा शरीर को छोड़ती है

गरूड़ पुराण कहता है कि जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं। जैसे हमारे कर्म होते हैं उसी तरह वो हमें ले जाते हैं। अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे बहुत तरह से पीड़ा सहनी पड़ती है। पुण्यात्मा को सम्मान से और दुरात्मा को दंड देते हुए ले जाया जाता है। गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं।

इन 24 घंटों में उसे पूरे जन्म की घटनाओं में ले जाया जाता है। उसे दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं। इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था। इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है। 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है।

आत्मा की गतियां

वेदों, गरूड़ पुराण और कुछ उपनिषदों के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की आठ तरह की दशा होती है, जिसे गति भी कहते हैं। इसे मूलत: दो भागों में बांटा जाता है पहला अगति और दूसरा गति। अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है। गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है। अगति के चार प्रकार हैं क्षिणोदर्क, भूमोदर्क, तृतीय अगति और चतुर्थ अगति।

क्षिणोदर्क अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्यु लोक में आता है और संतों सा जीवन जीता है, भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन पाता है, तृतीय अगति में नीच या पशु जीवन और चतुर्थ गति में वह कीट, कीड़ों जैसा जीवन पाता है। वहीं गति के अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं और जीव अपने कर्मों के अनुसार गति के चार लोकों ब्रह्मलोक, देवलोक, पितृ लोक और नर्क लोक में स्थान पाता है।

आत्मा का मार्ग

आत्मा की यात्रा का मार्ग पुराणों में आत्मा की यात्रा के तीन मार्ग माने गए हैं। जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर उत्तर कार्यों के बाद यात्रा प्रारंभ करती है तो उसे तीन मार्ग मिलते हैं। उसके कर्मों के अनुसार उसे कोई एक मार्ग यात्रा के लिए दिया जाता है।

ये तीन मार्ग है अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग। अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए है। धूममार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है।

कितने तरह के होते हैं नर्क

मुख्य नरक 36 हैं। उनमें भी अवीचि, कुम्भीपाक और महारौरव ये तीन मुख्यतम हैं। ये तीनों नरक समस्त नरकों या नरक लोक के अध: मध्य और ऊध्र्व भाग में स्थित हैं। 36 नरकों में से एक-एक के चार-चार उप नरक हैं।