Saturday, February 23, 2013

6th Sense Power in Animal - Birds



पशु-पक्षी देते हैं खतरे की सूचना  , जानवरों को होता है पूर्वाभास
(6th Sense Power in Animal - Birds )

It can be due to listening Ultrasonic , Hyper Sonic sound, can see Infra Red waves.


बात लगभग एक सदी पुरानी है। अमेरिका के पश्चिमी द्वीप समूह का लगभग 5000 फुट ऊँचा माउंट पीरो नामक पर्वत ज्वालामुखी बनकर धधकने लगा और फूट पड़ा। पर्वत के टुकड़े-टुकड़े हो गए। इस प्राकृतिक विपदा ने तीस हजार मनुष्यों को लील लिया। करोड़ों की सम्पत्ति नष्ट हो गई।

जो लोग जीवित रह गए उन्होंने बताया कि यहाँ के पशु-पक्षी रात में रुदन-सा करते थे और ऐसा कई दिनों से हो रहा था। साथ ही पक्षियों ने अपने घर कहीं और बसा लिए थे। सर्पों, कुत्तों और सियारों ने तो मानो काफी दिनों पहले ही जगह को छोड़ दिया था।

सन्‌ 1904 में घटी इस घटना के अतिरिक्त भी अनेकानेक घटनाओं का जिक्र करते हुए जीवविज्ञान के वैज्ञानिक डॉ. विलियम जे. लॉग ने पशुओं की इंद्रियातीत शक्ति को स्वीकारा है। उनके मुताबिक पशु-पक्षी भले ही बुद्धि-कौशल में मनुष्य की तुलना में कमतर हों परंतु उनकी इंद्रियातीत शक्ति काफी बढ़ी-चढ़ी होती है और वे उसके आधार पर अपनी जीवनचर्या का सुविधापूर्वक संचालन करते हैं। डॉ. विलियम ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि यदि पशु-पक्षियों में वाक्‌ शक्ति होती तो वे बेहतरीन ज्योतिषी साबित होते।

प्राकृतिक आपदाओं के प्रति तो हिरणों, मछलियों, भालुओं, चूहों, सर्पों आदि सभी पशु-पक्षियों में संवेदनशीलता देखी गई है और इनका जिक्र चीन, जर्मनी, जापान, रूस और अमेरिका सहित अनेक देशों के वैज्ञानिकों ने समय-समय पर किया है। इस संदर्भ में अनेक सार्थक अनुसंधान भी हुए हैं।

मसलन बर्फ गिरने से पहले ध्रुवीय भालुओं का भोजन एकत्रीकरण, बर्फ जमने वाली झीलों से मछलियों का पलायन, बर्फ गिरने के पहले हिरणों का सुरक्षित स्थानों पर पहुँचना, भूकम्प के पहले पालतू कुत्तों का मालिक के आदेशों का पालन न करना, एक-दूसरे को काटना, चूहों-सर्पों का बिलों से निकलकर बेतहाशा भागना, मछलियों का तल में चले जाना, गाय आदि मवेशियों का रस्सी छुड़ाने का प्रयास करना आदि-आदि।



परंतु ऐसी घटनाएँ भी वैज्ञानिकों ने दर्ज की हैं, जिनसे पता चलता है कि पशु-पक्षियों में बाकायदा छठी इंद्रिय होती है। एक घटना का उल्लेख प्रासंगिक होगा। घटना वियना की है। एक कुत्ता माल उठाने-उतारने की क्रेन के पास पड़ा सुस्ता रहा था। अचानक वह चौंककर उठा और उछलकर दूर जाकर बैठ गया। कुछ मिनटों के बाद अचानक क्रेन का रस्सा टूट गया और भारी लौहखंड वहीं गिरा जहाँ कुत्ता पहले लेटा हुआ था।


एक अन्य रोचक घटना से हमें पशुओं की सुविकसित अतीन्द्रिय शक्ति का पता चलता है। बर्मा में अँगरेजों और जापानियों के बीच युद्ध चल रहा था। एक दिन अँगरेजों की एक टुकड़ी पर चंद जापानियों ने हमला कर दिया। जापानियों ने सोची-समझी रणनीति के तहत पीछे हटने का नाटक खेला। वे इस तरह दूर खंदकों में जा छुपे। अँगरेजों ने उन्हें भागा हुआ समझा और देखा कि उनके ठिकाने पर एक मेज पर ताजा पकाया हुआ खाना रखा है।

वे खाना खाने को तत्पर हुए कि सार्जेंट रैडी की काली बिल्ली ने खाने को तहस-नहस कर दिया और अँगरेज सैनिकों पर गुर्राने लगी। सैनिकों ने उसे धमकाने के काफी प्रयास किए परंतु उसने उन्हें मेज के पास नहीं फटकने दिया। कुछ ही मिनटों में बारूदी सुरंग फट पड़ी और खाने की मेज और बिल्ली के टुकड़े-टुकड़े हो गए। बर्मा की कलादान घाटी में उस बिल्ली की समाधि आज भी मौजूद है और समाधि पर घटना का भी संक्षिप्त विवरण अंकित है